Saturday, 5 May 2018

शायरी-हुश्न-ए-मोहतरमा।

हे अल्लाह तुमने इस नजीर(मोहतरमा) को कैसे बनाया होगा।
मैं नही जानता तुम्हारे दिमाग में ये ख्वाब कहाँ से आया होगा।
लेकिन तुमने जब इस नजीर को दुनिया में उतारा होगा।
शायद ही कभी किसी बन्दे को चैन आया होगा।

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