वो मेरे जेहन में उतर रहे थे मानो इस कदर। कि जैसे चढ़ रहा हो शराब का धीरे-२ असर। हालाँकि मुलाकात न हुई थी दर-बदर। मेरे दोस्तों बस यही था पागलपन सा मोहब्बत वाला सफर।
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